Lifestyle

                                         Lakshya(Target)




दोस्तो ब्लॉग तो सभी लिखते है लेकिन मै आज आपसे कुछ ऐसी की हकीकत बताना चाहूंगा जो वास्तव में बहुत तकलीफ़ देती है।ये कहानी कुछ मेरी भी जिंदगी से जुड़ी है तो कृपया इसे आराम से पढ़े।दोस्तो जब इंसान एक छोटा बच्चा होता है तो उसे कुछ भी समझ नहीं होता लेकिन फिर भी उसे एक लक्ष्य मिल जाता है जैसे उसे स्कूल जाना है पूरे दिन पढ़ाई करनी है खेलने का समय नहीं है सिर्फ पढ़ाई और केवल पढ़ाई।कभी क्लास वर्क तो कभी होम वर्क उसका समय बस इसी लक्ष्य को पूरा करने में निकल जाता फिर वो धीरे धीरे बड़ा होता है और फिर उसे हाई स्कूल का लक्ष्य फिर इंटर फिर ग्रेजुएट होने का लक्ष्य फिर भी उसे आराम नहीं अब उसे अपनी आगे की जिंदगी के लिए भी सोचना है तो अब वह खुद अपने को एक लक्ष्य देता है कि उसे अब नौकरी पानी है खुद का घर बसाना है पैसा कमाना है।अब उसे नौकरी मिल भी जाए तो भी सुकून नहीं है क्युकी अब उसके उपर उसका बॉस बैठा है उसका अलग से एक लक्ष्य फिर जिंदगी कि भाग दौड़ में अपनी जवानी भी खतम कर देता है और फिर जैसा की आप लोग जानते ही है कि बुढ़ापा खुद में एक लक्ष्य है।
         मतलब कि इंसान पूरी जिंदगी बस लक्ष्य के पीछे भागता रहता है और एक दिन अपनी इस प्यारी सी जिंदगी को खतम कर देता।
         मेरा कहने का मतलब बस इतना सा है दोस्तो कि लक्ष्य के पीछे इतना भी मत भागो कि आपको आपकी जिंदगी जीने का मौका भी ना मिल पाए।
          अपने जीवन सुखी और खुशहाल बनाओ।।।




धन्यवाद दोस्तों।                                                                                               



Comments

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

Popular posts from this blog

मोदी जी ये आपने क्या किया?

iPhone XS - Price and features

Let 'em Play Lyrics Karan Aujla